Former BJP president Madanlal Saini’s nephew set up the noose, including the family, since the son’s death, the family had locked themselves in the room, suicide notes also recovered | इकलौते बेटे की मौत के 4 महीने बाद पति-पत्नी ने 2 बेटियों के साथ फांसी लगाई; लिखा- उसके बिना नहीं जी सकते
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सीकर6 घंटे पहले
हनुमान प्रसाद सैनी सरकारी स्कूल में काम करते थे। दोनों बेटियां पढ़ाई कर रही थीं और पत्नी हाउसवाइफ थीं। -फाइल फोटो
राजस्थान के सीकर में पति-पत्नी ने रविवार को 2 बेटियों के साथ फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। बीते 27 सितंबर को उनके 18 साल के इकलौते बेटे की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। इस गम में पूरा परिवार डिप्रेशन में आ गया था। घर के एक कमरे से सुसाइड नोट मिला है। इसमें लिखा है कि हम बेटे अमर के बिना जी नहीं सकते। हम भी दुनिया छोड़कर जा रहे हैं। बेटे के बिना दुनिया बेकार है। पुलिस किसी को परेशान न करे।
पुरोहित जी ढाणी इलाके में रहने वाले 48 साल के हनुमान प्रसाद सैनी अपनी पत्नी 45 साल की तारा, 2 बेटियों पूजा और अन्नू के साथ घर में फंदे पर लटके मिले। हनुमान भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद दिवंगत मदनलाल सैनी के भतीजे थे। वह सरकारी स्कूल में फोर्थ क्लास कर्मचारी थे। पत्नी हाउस वाइफ थीं। 24 साल की पूजा MSc फर्स्ट ईयर और 22 साल की चीकू BSc सेकंड ईयर में पढ़ती थीं।
पड़ोसियों ने बताया कि बेटे की मौत के बाद से परिवार तनाव में था। सिर्फ हनुमान ड्यूटी पर जाने के लिए घर से निकलते थे। उनकी पत्नी और दोनों बेटियां घर के अंदर ही रहती थीं।

बेटे की मौत के बाद से हनुमान के परिवार ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया था।
दूधवाले के आने पर सुसाइड का पता चला
हनुमान के घर रविवार शाम दूधवाला दूध देने पहुंचा। उसने काफी देर तक दरवाजा खटखटाया, लेकिन गेट नहीं खुला। इसके बाद उसने मोबाइल पर कॉल किया, लेकिन किसी ने पिक नहीं किया। दूधवाले ने हनुमान के छोटे भाई घनश्याम के बेटे युवराज को फोन किया, जो अमर की मौत के बाद से हनुमान के पास ही रहता था।
युवराज ने अपने पिता और चाचा को मोबाइल पर कॉल किया। मौके पर हनुमान के चाचा का लड़का कपिल सैनी पहुंचा। मेन गेट खोलकर वह अंदर गया तो देखा कि चारों फंदे पर लटके थे। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई।
2 पेज का सुसाइड नोट छोड़ा
‘मैं हनुमान प्रसाद सैनी, मेरी पत्नी तारा देवी, 2 बेटियां पूजा और अन्नू अपने पूरे होश में यह लिख रहे हैं। हमारे बेटे अमर का स्वर्गवास 27 सितंबर 2020 को हो गया था। हमने उसके बिना जीने की कोशिश की, लेकिन उसके बगैर जिया नहीं जाता। इसलिए हम चारों ने अपनी जीवन लीला खत्म करने का फैसला लिया है। अमर ही हम चारों की जिंदगी था। वही नहीं तो हम यहां क्या करेंगे। घर में किसी चीज की कमी नहीं है। जमीन है, घर है, दुकान है, नौकरी है। बस सबसे बड़ी कमी बेटे की है। उसके बिना सब बेकार है। हम पर किसी का कोई कर्ज बाकी नहीं है। प्रशासन से निवेदन है कि किसी भी परिवारवाले को परेशान न करें। ये हमारा अपना फैसला है। सुरेश (हनुमान के छोटे भाई), हम सब का अंतिम संस्कार परिवार की तरह ही करना। कबीर पंथ की तरह मत करना। सब अपने रीति रिवाज से करना और अमर का कड़ा और उसके जन्म के बाल हमारे साथ गंगा में बहा देना है। अमर की फोटो के पास सब सामान रखा है। सुरेश मेरे ऊपर किसी का कोई रुपया-पैसा बाकी नहीं है।’
लोहे के गर्डर पर फांसी लगाई, इसे 4 दिन पहले ही लगाया था
पड़ोसियों ने बताया कि कमरे में जिस लोहे के गर्डर से चारों के शव लटके मिले हैं, वह पहले नहीं था। उसे 4 दिन पहले ही मिस्त्री बुलाकर लगवाया गया था। यही नहीं, जिस रस्सी से चारों के शव लटके थे, वह एक ही रस्सी के टुकड़े थे और नई थी। आशंका है परिवार ने कई दिन पहले सुसाइड करने के बारे में सोच लिया था। बेटे की मौत के बाद हनुमान अक्सर अपने छोटे भाई सुरेश और घनश्याम से कहते थे कि मैं अब जिऊंगा नहीं।

चारों शव एक ही कमरे में मिले हैं। पुलिस का अनुमान है कि सभी ने काफी पहले सुसाइड के बारे में सोच लिया था।
एक ही पलंग पर चढ़कर फांसी लगाई
पुलिस के मुताबिक, चारों एक ही पलंग पर चढ़कर फंदे पर लटके। उसके बाद पलंग को पैर से गिरा दिया। शव मिलने वाली जगह पलंग नीचे गिरा हुआ था। जांच में यह भी पता चला कि हनुमान और उसकी पत्नी तारा ने सुबह खाना खाने के बाद सुसाइड नोट लिखा। इसके बाद छोटे भाई से फोन पर बात की और फिर दोपहर में आत्महत्या कर ली। जान देने से पहले परिवार ने कमरे में बेटे अमर की फोटो के सामने उसका कड़ा और जन्म के बाल रख दिए थे।

परिवार ने सुसाइड से पहले बेटे अमर के फोटो के सामने उसका सामान रख दिया था।
16 फरवरी को भांजियों की शादी में नहीं गए थे
हनुमान प्रसाद की बहन मंजू का ससुराल नवलगढ़ में है। मंजू की 2 बेटियों की शादी 16 फरवरी को थी। हनुमान इस शादी में भी नहीं गए थे। हनुमान और उनका परिवार बेटे अमर की मौत के बाद कहीं भी आता-जाता नहीं था। एक पहले की उनकी दादी पूर्व राज्यसभा सांसद मदनलाल सैनी की मां का देहांत हो गया था। उस वक्त वह गए थे।