Uttarakhand Ntpc Tapovan Tunnel Rescue Operation Live Update Uttarakhand Chamoli Glacier Burst Latest Today News The depth of the lake built at an altitude of 14 thousand feet was measured at Rishiganga; It is estimated to have 4.80 thousand crore liters of water | 14 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी झील की गहराई नापी गई, डैम की दीवार पर पड़ रहे प्रेशर का पता लगाएंगे एक्सपर्ट
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चमोली11 मिनट पहले
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ऋषिगंगा के ऊपर बनी झील 750 मीटर लंबी और 8 मीटर गहरी है।
उत्तराखंड के चमोली जिले पर अभी भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यहां ऋषि गंगा के ऊपर ग्लेशियर टूटने से बनी आर्टिफिशियल झील का इंडियन नेवी, एयरफोर्स और एक्सपर्ट की टीम ने मुआयना किया। डाइवर्स ने झील की गहराई मापी है। इससे मिले डेटा के जरिए वैज्ञानिक यह पता करेंगे कि डैम की मिट्टी की दीवार पर कितना दबाव पड़ रहा है। इस झील में करीब 4.80 करोड़ लीटर पानी होने का अनुमान है।
इस झील में होने वाली सारी हलचल पर नजर रखने के लिए विशेषज्ञों की टीम लगाई गई है। इसके अलावा ऋषिगंगा नदी में सेंसर भी लगाया गया है, जिससे नदी का जलस्तर बढ़ते ही अलार्म बज जाएगा। SDRF ने कम्युनिकेशन के लिए यहां एक डिवाइस भी लगाई है।
#WATCH In a joint Indian Navy-IAF operation on 20 Feb, naval divers were winched by IAF’s Advanced Light Helicopter at a height of 14000 ft to measure the depth of the glacial lake formed 5 km upstream of Tapovan, Uttarakhand pic.twitter.com/5gs6kZwagA
— ANI (@ANI) February 21, 2021
750 मीटर लंबी और 8 मीटर गहरी है झील
विशेषज्ञों के मुताबिक, ये झील करीब 750 मीटर लंबी है और आगे बढ़कर संकरी हो रही है। इसकी गहराई आठ मीटर है। इसके हिसाब से झील में करीब 48 हजार घन मीटर यानी करीब 4.80 करोड़ लीटर पानी होने का अनुमान है। नेवी के डाइवर्स ने हाथ में इको साउंडर लेकर इस झील की गहराई मापी। अगर ये झील टूटती है तो काफी ज्यादा नुकसान हो सकता है।
एक्सपर्ट के मुताबिक, ये झील केदारनाथ के चौराबाड़ी जैसी है। 2013 में केदारनाथ के ऊपरी हिस्से में 250 लंबी, 150 मीटर चौड़ी और करीब 20 मीटर गहरी झील के टूटने से आपदा आ गई थी। इस झील से प्रति सेकंड करीब 17 हजार लीटर पानी निकला था।
नेवी-एयरफोर्स के साथ पहुंची एक्सपर्ट की टीम
आर्टिफिशियल झील का निरीक्षण करने वाली वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व उत्तराखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (USAC) के डायरेक्टर एमपीएस बिष्ट कर रहे हैं। टीम में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और USAC के चार-चार वैज्ञानिक शामिल हैं। इसके अलावा ITBP और DRDO के वैज्ञानिकों ने भी झील का मुआयना किया।

SDRF ने कम्युनिकेशन के लिए यहां एक डिवाइस भी लगाई है।
अब तक 67 शव मिले, 140 से ज्यादा लोग लापता
उत्तराखंड के चमोली में तपोवन डेम के पास जमा मलबे से शनिवार को 5 और शव निकाले गए हैं। इनके साथ ही 6 फरवरी को ग्लेशियर टूटने से हुए हादसे में मरने वालों की संख्या 67 हो गई है। तपोवन में NTPC की टनल में तलाशी अभियान अभी भी जारी है।
रेस्क्यू टीम को आसपास जमे मलबे के नीचे भी कुछ और शव दबे होने की आशंका है। वहां लोगों को खोजने के लिए NDRF और SDRF की टीमें डॉग स्क्वॉड, दूरबीन, राफ्ट और दूसरे उपकरणों का इस्तेमाल कर रहीं हैं।
6 फरवरी को ग्लेशियर टूटने से आया था सैलाब
चमोली के तपोवन में रविवार 6 फरवरी की सुबह करीब साढ़े 10 बजे ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा नदी में गिर गया था। इससे आसपास के इलाकों में बाढ़ आ गई थी। यही नदी रैणी गांव में जाकर धौलीगंगा से मिलती है इसीलिए वहां भी जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हुई। सैलाब में दो पॉवर प्रोजेक्ट और बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन का बनाया ब्रिज भी तबाह हो गया। इस आपदा में 206 लोगों के लापता हुए थे।